Saturday, May 14, 2011

Time

रात के २- ३ बज रहे है, नीद मनो आंख मिचोली खेल रही है . किसी की एक पंक्ति ही जो  दीमाग की  दीवारों  पे जोर जोर से प्रहार कर रही है , बहुत से सवाल पूछ  रही ही,और शायद इसलिए नींद आँख मिचोली खेल रही है. और ये पंक्ति क्या ही ये बताने की जिज्ञासा भी हो रही है. Time is the only perishable thing in this world so spend it wisely.मुझे लगता है मैं अपने समय  का सबसे सही उपयोग अभी कर रही हूँ. ऐसी एक नहीं हजारों पंक्तियों ने बचपन से लेकर आज तक नीदे उड़ाई है और जीवन के उन हजारों द्वारों को बंद किया ही जिनपे शायद गए होते तो जिंदगी खुच तो और होती मगर ये न होती जो आज है,अच्छे या बुरी से इतर.समय की बात हो रही है, हमने  तो गली के क्रिकेट मैच के समय पढाई पे समय लगाया, पारिवारिक और सामाजिक उत्सवों में भाग लेने के समय भी, पढाई में ही लगाया, अपनी भावनाओ को पूरा करने के समय, सामाजिकता और कर्त्तव्य पूरा करने में समय लगाया .दूसरो के हित में कार्य करने,दान करने और भलाई करने के समय, विलासिता में समय लगाया.आगे आने वाले जीवनकाल में भी इसी तरह  ही सदुपयोग करते रहेंगे समय का.मैथली शरण गुप्ता की एक पंक्ति याद आई है."यह जनम हुआ किस अर्थ अहो! समझो जिसमे यह व्यर्थ न हो.

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